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बनी इस्राईल की तारीख़ : क्या हज़रत मूसा (अलै.) की ला’नतें वाक़े हुईं ?

बनी इसराईल की तारीख़ का आसानी से पीछा करने के लिए मैं वक़्त की लकीरों का एक सिलसिला उन की तारीख़ को बयान करते हुए तामीर करने जारहा हूँ ।  बनी इस्राईल कि तारीख़ को बहुत ज़ियादा जाने पहचाने बाइबिल के नबियों को फ़ाइज़ करते हुए शुरू करके एक वक़्त की लकीर में ईसा अल मसीह के ज़माने तक ले जाते हैं ।

बाइबिल के सबसे मान्यता प्राप्त पैगंबर

यह वक़्त की लकीर मशरिकी कैलंडर का इस्तेमाल करती है (और याद रखें कि यह सब क़ब्ल मसीह या बी सी ई  तारीख़ से जुड़ी है) ।  चौड़ान वाली लकीरें बताती हैं कि एक ख़ास नबी कब तक जिया ।  इन की निशानी के लिए हज़रत इब्राहिम (अलै.) और हज़रत मूसा अलै.) बहुत ही अहम् हैं जिनकी बाबत हम हम पहले ही देख चुके हैं । इसके अलावा हज़रत दाऊद (अलै.) पछाने गए हैं क्यूंकि उन्हों ने ज़बूर शरीफ़ का आग़ाज़ किया था और वह बनी इस्राईल के पहले बादशाह थे और येरूशलेम में एक शाही सल्तनत का सिलसिला क़ायम किया था ।  हज़रत ईसा अल मसीह (अलै.) इस में बहुत ही ख़ास हैं क्यूंकि वह इंजील के मरकज़ हैं ।

हम हरे रंग के ज़माने में देखते हैं कि बनी इसराईल मिसर में गुलाम बतोर ज़िन्दगी गुज़ारते जा रहे थे ।

यह वक़्त का ज़माना उस वक़्त शुरू हुआ जब युसूफ जो हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का पर पोता था उसने अपने लोगों को मिसर की तरफ़ रहनुमाई की मगर उसके मरने के बाद जो फ़िरों तख़्त पर बैठा था वह युसूफ को नहीं जानता था ।  इसलिए बनी इस्राईल वहां पर गुलाम बन गए ।  फिर हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) बनी इस्राईल को फ़सह की निशानी के साथ मिसर कि गुलामी से छुड़ाया और उनकी रहनुमाई की ।

तो फिर हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) के साथ बनी इस्राईल की तारीख़ बदलती है । और अब इस को पीले रंग में  दिखाया गया है ।  

 बनी इस्राईल इस्राईल के मुल्क या फ़लस्तीन में रहते हैं ।  हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) उन पर अपनी ज़िन्दगी के आख़री अय्याम में बरकतों और लानतों का एलान करते हैं ।  जब वक़्त की लकीर हरे से पीले की तरफ़ जाती है तब से लेकर अब तक कई सौ साल के लिए कई सौ साल के लिए बनी इसराईल इस मुल्क में रह रहे हैं जिस का वायदा हज़रत इब्राहीम के निशान 1 में किया गया था ।   किसी तरह उन के पास कोई बादशाह नहीं है ।  न ही उन्हों ने येरूशलेम को अपना एक पाए तख़्त बतोर क़ायम किया था ।  इस ज़माने दौरान वक़्त कि लकीर में येरूशलेम किसी और क़ौम के मातहत में थी ।

किसी तरह ख़ुदा की तरफ़ से 1000 क़ब्ल मसीह के दौरान बनी इसराईल के बीच में हज़रत दाऊद (अलैहिस्सलाम) का भेजा जाना एक बड़ा बदलाव ले आया ।

 अपना महल होता है और वह नबी हज़रत समूएल (अलैहिस्सलाम) के ज़रिये बादशाह होने बतोर मखसूस किये जाते हैं ।  और उन का बेटा सुलेमान जो अपनी हिकमत के लिए मशहूर था दाऊद का जानशीन बतोर हुकूमत करता है । सुलेमान येरूशलेम शहर में एक आलिशान खूबसूरत हैकल ख़ुदावंद के लिए तामीर करता है ।  दाऊद बादशाह की  नसल 400 साल तक लगातार हुकूमत करते हैं । और इस ज़माना । ए। वक़्त को हलके नीले रंग में ज़ाहिर किया गया है ।  (क़ब्ल मसीह 1000 ।  600) , यह ज़माना बनी इस्राईल के लिए सुनहरा ज़माना था ।  क्यूंकि उनहोंने वायदा किया हुआ बरकतों को देखना शुरू किया था ।  यह उस ज़माने का सब से बड़ा ताक़तवर हुकूमत था ।  क्यूंकि इस में एक आला (तरक़क़ी याफ़ता) मुआशरा था ।  उनकी एक अच्छी तहज़ीब थी ।  उनके पास ए३क आलिशान मंदिर था । और यह एक ऐसा जाना था जिस में कई एक नबियों के पास अल्लाह के कई एक पैग़ाम मौजूद थे । और वह ज़बूरों में कलमबंद किये गए थे जिन्हें हज़रत दाऊद (अलैहिस्सलाम) ने शुरू किया था ।  कई एक नबियों का भेजा जाना और क़ौम के लोगों और बादशाहों तक पैग़ाम पहुंचाना इस लिए था क्यूंकि दिन ब दिन लोग ज़ियादा से ज़ियादा बिगड़ते जारहे थे ।  ग़ैर मबूदों की परस्तिश कर रहे थे और दस अहकाम की ख़िलाफ़ वर्ज़ी कर रहे थे । सो अल्लाह ने उनके दरमियान नबियों को भेज कर उन्हें ख़बरदार किया और उन्हें याद दिलाया कि अगर वह अपने बुरे कामों से बाज़ नहीं आयेंगे तो हज़रत मूसा की लानतें उन पर नाजिल होंगी मगर उनहोंने सुना अनसुना करदिया ।

आखिर ए कार 600 क़ब्ल मसीह के दौरान हज़रत मूसा की लानतें सच साबित होने लगीं ।  नबुकद नेज़र जो एक ज़बरदस्त बादशाह था बाबुल में आया । और हज़रत मूसा ने जिसतरह अपनी लानत की पेश बीनी में लिखा था । कि

खुदावंद दूर से बल्कि ज़मीन के किनारे से एक क़ौम को तुझ पर चढ़ा लाएगा जैसे उक़ाब टूट कर आता है ।  उस  क़ौम कि ज़ुबान को तू नहीं समझेगा ।  उस क़ौम के लोग तुर्श रू होंगे जो न बुड्ढों का लिहाज़ करेंगे न जवानों पर तरस खाएंगे …और वह तेरे तमाम मुल्कों में तेरा मुहासरा तेरी ही बसतियों में किये रहेंगे ।

इस्तिसना 28:49। 52

नबुकद नेज़र बादशाह ने येरूशलेम को फ़तेह किया , आग ज़नी फैला कर उसको तेहस नेहस किया ।  फिर उस की सल्तनत ने बनी इसराईल की अक्सरियत को अपने निहायत वसीअ शहर बाबुल में लेजाकर जिलावतन कर दिया । बाक़ी के सिर्फ़ ग़रीब इसराईल पीछे छोड़ दिए गए थे ।  इसतरह से हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) कि पेशीन गोई पूरी हुई  जिसतरह उन्हों कहा कि :

और तुम उस मुल्क से उखाड़ दिए जाओगे जहां तू उस पर क़ब्ज़ा क़ब्ज़ा करने को जा रहा है ।  और खुदावंद तुझको ज़मीन के एक सिरे से दुसरे सिरे तक तमाम क़ौमों में परागंदा करेगा ।                    

इस्तिसना 28 : 63। 64

फ़तेह किया और जिलावतन करके बाबुल को ले गया ।

अब तक जो 70 साल हुए इस अरसे को सुरख़ रंग में दिखाया गया है ।  बनी इसराईल जिलावतन बतोर वायदा किया मुल्क के बाहर रहने लगे ।

इस के बाद फ़ारस का बादशाह साइरस ने बाबुल को फ़तह किया ।  और साइरस दुनया का सब से बड़ा ज़बरदस्त बादशाह बन गया ।  और उसने एक शाही फरमान जारी किया और इजाज़त कि बनी इस्राईल अपने मुल्क को वापस लौट जाएं ।

किसी तरह बनी इसराईल एक आज़ाद मुल्क में नहीं थे ।  अब वह एक निहायत वसीअ फ़ारस कि सल्तनत के मातहत एक रियासत में रहने लगे थे । यह 200 साल तक जारी रहा और इसको गुलाबी रंग के वक़्त की लकीर में दिखाया गया है ।  इसी अरसे के दौरान मंदिर को दुबारा तामीर किया गया (जो दूसरा मंदिर बतोर जाना जाने लगा था) और पुराने अहद नामे के आख़री नबियों के पास अपने पैग़ामात थे ।

और फिर सिकंदर – ए –  आज़म आज़म ने फ़ारसी सल्तनत फ़तह हासिल की और इस्राईल को अपनी सल्तनत में एक रियासत बनाया जो कि दुसरे 200 साल यह सल्तनत भी जारी रहा ।  इसे गहरे नीले रंग में दिखाया गया है ।

फिर रोमियों ने यूनानी सल्तनत को शिकस्त दी और वह एक ज़बरदस्त रोमी सल्तनत बतोर रूनुमा हुए ।  फिर से एक बार बनी इसराईल इस सल्तनत में सिमट कर रह गए और उसको हलके पीले रंग में दिखाया गया है ।  ज़माने में ही नबी हज़रत ईसा अल मसीह इसराएल में रहते थे ।  यह हमें समझाता है कि सारे अनाजील के बयानात में बार बार रोमी गवर्नर और रोमी सिपाहियों का ज़िक्र क्यूँ आता है  – क्यूंकि हज़रत ईसा अल मसीह के दरान ए ज़िन्दगी में रोमियों ने यहूदियों के मुल्क में हुकूमत की थी ।

हालाँकि, बेबीलोनियों (600 ईसा पूर्व) के समय से इस्राएलियों (या यहूदियों को अब उन्हें बुलाया गया था) के रूप में वे फिर से स्वतंत्र नहीं थे क्योंकि वे दाऊद के राजाओं के अधीन थे। वे अन्य लोगों की अन्य सरकारों द्वारा शासित थे। उन्होंने इस पर नाराजगी जताई और ईसा अल मसीह के गुजर जाने के बाद उन्होंने रोमन शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया। आजादी की जंग शुरू हो गई। लेकिन यहूदियों ने इस युद्ध को खो दिया। वास्तव में रोमन आए और यरूशलेम को नष्ट कर दिया, 2 टेंपल को जला दिया और यहूदियों को रोमन साम्राज्य में गुलाम बना दिया। चूंकि यह साम्राज्य इतना विशाल था, इसलिए यहूदियों को पूरी दुनिया में प्रभावी रूप से फैलाया गया था।

और इसी हालत में यह लोग लगभग 2000 साक यूँ ही परागंदा हो रहे थे , मारे मारे फिर रहे थे , एक दुसरे से अलाहिदा होते रहे , ग़ैर मुल्कों में बसते रहे ।  यह उनकी बदनसीबी थी कि वह किसी भी मुल्क में क़बूल नहीं किये गए ।  हज़रत मूसा के अलफ़ाज़ जो लानत बतोर थे वह सब के सब जिसतरह तौरात में लिखी गई हैं पूरे हुए ।

…उन क़ौमों के बीच तुझको चैन नसीब न होगा और न तेरे पांव के तलवों को आराम मिलेगा बल्कि खुदावंद तुझको वहां दिल लरज़ान और आँखों की धुन्द्लाहट और जी की कुढ़न देगा ।

इस्तिसना 28 :65

तो फिर क्या हज़रत मूसा की ला’नतें जो बनी इसराईल के ख़िलाफ़ थीं पूरी हुईं थीं ? जी हाँ । । ।  पूरी तफ़सील के साथ यह पूरी हुईं ।  बनी इस्राईल के ख़िलाफ़ लानतें जो की गयी थीं वह हमें जो यहूदी नहीं हैं यह सवाल पूछने पर मजबूर करते हैं :

तब वह बल्कि सब कौमें पूछेंगी कि “खुदावंद ने इस मुल्क से ऐसा बर्ताव क्यूँ किया ? और ऐसे बड़े क़हर के भड़कने का सबब क्या है ?”

तो इस का जवाब यह होगा : “… उस वक़्त लोग जवाब देंगे कि खुदवान इनके बाप दादा के ख़ुदा ने जो अहद इनके साथ इनको मुल्क ए मिसर के निकालते वक़्त बाँधा था उसे इन लोगों ने छोड़ दिया” ।  

इस्तिसना 29:24। 25

हमारे लिए यह एक अहम् निशान है कि नबियों की तंबीह (चितौनियों) को संजीदा तोर से लें –   क्यूंकि यह तंबीह हमारे लिए भी हो सकते हैं ।

जी हाँ यह तारीख़ी जायज़ा सिर्फ़ 2000 साल पहले तक ही जाता है ।  मगर यह जान्ने के लिए यहाँ पर किलिक करें कि किसतरह नबी हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) की बरकतें और ला’नतें हमारे इस मौजूदा ज़माने में इख्तिताम तक पहुंची यानी इसका ख़ात्मा हुआ ।